Rajim (राजिम)Triveni Sangam | Rajim Kumbh | Rajim Temple | Cultural Heritage

क्यों कहा जाता है राजिम को “छत्तीसगढ़ का प्रयाग”?
छत्तीसगढ़ का एक छोटा लेकिन बेहद पवित्र नगर — राजिम — गरियाबंद जिले में स्थित है, और इसे “छत्तीसगढ़ का प्रयाग” कहा जाता है। यहां महानदी, पैरी और सोंढूर नदियाँ आकर मिलती हैं, जो मिलकर बनाती हैं — Rajim Triveni Sangam।
यह संगम धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यही वजह है कि यहाँ हर साल फरवरी–मार्च के बीच मनाया जाता है विशाल Rajim Kumbh Mela।

Rajim –इस लेख में जानिए:
Rajim कहाँ है और वहाँ कैसे पहुँचा जा सकता है?
Rajim Temple Chhattisgarh का इतिहास क्या है?
राजिम त्रिवेणी संगम में कौन-कौन सी नदियाँ मिलती हैं?
Rajim Kumbh क्या है? स्थानीय संस्कृति, मेले, मंदिर, लोककथाएँ और बहुत कुछ।

Rajim Mandir Table of Contents
राजिम कैसे पहुँचे? Raipur to Rajim distance
राजिम की दूरी रायपुर से लगभग 45 किलोमीटर है। आप आसानी से सड़क, रेल या हवाई मार्ग से पहुँच सकते हैं:
सड़क मार्ग (By Road)
NH 30 और Abhanpur–Rajim रूट द्वारा टैक्सी या बस आसानी से उपलब्ध हैं। रायपुर से सीधी सड़क सुविधा है।
✈ हवाई मार्ग (By Air)
नजदीकी एयरपोर्ट: Swami Vivekananda Airport, Raipur (~43–46 कि.मी.)।
रेलवे (By Train)
Raipur Junction से Abhanpur तक, और फिर राजिम तक नैरो गेज ट्रेन सुविधा है।
Rajim Triveni Sangam: तीन नदियों का संगम

राजिम का प्रमुख आकर्षण है इसका त्रिवेणी संगम — जहां मिलती हैं:
महानदी, पैरी, सोंढूर
यहां श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं, और मान्यता है कि यह संगम आत्मशुद्धि और मोक्ष का द्वार है।
मुख्य आकर्षण: Rajim Temple और अन्य दर्शनीय स्थल

1. Rajiv Lochan Temple (राजीव लोचन मंदिर)

भगवान विष्णु को समर्पित, यह मंदिर 8वीं–9वीं शताब्दी का माना जाता है।
निर्माणकर्ता: नाला वंश के राजा विलसतुंग।
स्थापत्य शैली: पञ्चायतन, 12 अद्भुत स्तंभों पर नक्काशी, गर्भगृह और मंडप।
मान्यता है कि विष्णु ने यहाँ राजा रत्नाकर को दर्शन दिए थे।

2.Kuleshwar Mahadev Temple
त्रिवेणी संगम के बीच स्थित एक द्वीप पर शिव मंदिर, जिसे माता सीता ने स्वयं स्थापित किया था।
अब एक पुल के माध्यम से यहाँ पहुँचना आसान है।
3.अन्य दर्शनीय स्थल:

Rajeshwar, Daneshwar, Jagannath, Someshwar, Bhooteshwar Temples
Sitabadi archaeological site (11वीं–12वीं शताब्दी) 2023 में उद्घाटित लक्ष्मण प्रतिमा भी आकर्षण का केंद्र बन चुकी है।
Rajim Kumbh Mela 2025 (Maghi Punni Mela)
Rajim Kumbh Mela — छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन, हर साल माघ पूर्णिमा से शुरू होता है।

🌟 राजिम कुंभ में क्या-क्या होता है?
नागा साधुओं का आगमन
संत समागम, प्रवचन
सांस्कृतिक कार्यक्रम: Pandavani, Nacha, Devar singing
हस्तशिल्प प्रदर्शन, मेला, मीना बाजार
🧭 Panchkoshi Yatra और लोककथाएँ
🔱 पंचकोसी यात्रा में सम्मिलित पाँच प्रमुख शिव मंदिर:
Kuleshwar (राजिम)
Champeshwarnath (Chamaranya)
Bramhkeshwarnath (Bramhani)
Pandeshwarnath (Fingeshwar)
Kopeshwarnath (Kopra)
यह यात्रा मानव जीवन के पाँच कोशों (शरीर, प्राण, मन, ज्ञान, आनंद) का प्रतीक मानी जाती है।
🔸 प्रमुख प्रसाद: “आटका” (चावल की पिंडिया) — छत्तीसगढ़ी खानपान का प्रतिनिधित्व।
🔸 रातभर भजन, कीर्तन, तर्पण, श्राद्ध आदि परंपराएँ निभाई जाती हैं।
🌿 राजिम की लोकसंस्कृति (Local Culture of Rajim)
पारंपरिक नृत्य: Pandavani, Devar Singing, Nacha
भजन-कीर्तन, झाँकी, हस्तशिल्प, कृषि प्रदर्शन
मेला स्थल पर आधुनिक सुविधाएँ: टॉयलेट, पार्किंग, हेल्थकेयर, लॉजिंग इत्यादि
🏛 Rajiv Lochan Temple का इतिहास
पहला शिलालेख: 8वीं शताब्दी, राजा Vilasatunga द्वारा निर्मित
दूसरा शिलालेख: 1145 CE, राजा जगतपाल द्वारा पुनर्निर्माण इतिहासकारों में मतभेद — कुछ इसे 5वीं शताब्दी तक पुराना मानते हैं (Alexander Cunningham), पर अधिकांश स्रोत 8वीं–9वीं शताब्दी को स्वीकार करते हैं
राजिम, कुलेश्वर महादेव और लक्ष्मण झूला: छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहर

छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में स्थित राजिम एक ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी है, जिसे ‘छत्तीसगढ़ का प्रयाग’ भी कहा जाता है। यह स्थान महानदी, पैरी और Sondur नदियों के त्रिवेणी संगम के कारण विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यहाँ पर स्थित प्राचीन राजीव लोचन मंदिर, कुलेश्वर महादेव मंदिर, और लोमश ऋषि आश्रम धार्मिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं। हाल ही में, 1 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा यहाँ एक नवनिर्मित लक्ष्मण झूला (सस्पेंशन ब्रिज) को आम जनता के लिए समर्पित किया गया, जो इस क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को और भी समृद्ध बना रहा है।
लक्ष्मण झूला: एक ऐतिहासिक कड़ी

लक्ष्मण झूला, जो महानदी पर स्थित है, राजिम के ऐतिहासिक महत्व को और भी बढ़ाता है। यह सस्पेंशन ब्रिज त्रिवेणी संगम के पास स्थित है और राजीव लोचन मंदिर को कुलेश्वर महादेव मंदिर और लोमश ऋषि आश्रम से जोड़ता है। इससे पहले पर्यटकों को नदी पार करने के लिए पैदल यात्रा करनी पड़ती थी, जो खासकर बरसात के मौसम में खतरनाक हो सकती थी। अब, इस लक्ष्मण झूला के माध्यम से श्रद्धालु आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँच सकते हैं।
लक्ष्मण झूला की विशेषता उसकी वास्तुकला और डिज़ाइन में निहित है। यह सस्पेंशन ब्रिज 610 मीटर लंबा और 3.25 मीटर चौड़ा है, जो आधुनिक और सुसज्जित प्रकाश व्यवस्था से लैस है, जिससे रात के समय भी पर्यटकों का आना-जाना आसान हो गया है। यह झूला, राजिम में धार्मिक यात्रा और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन गया है।
कुलेश्वर महादेव मंदिर: राजिम का अद्भुत धार्मिक केंद्र
कुलेश्वर महादेव मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यह प्राचीन मंदिर राजिम में स्थित है और हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है। यहाँ पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। किवदंती के अनुसार, यह मंदिर भगवान शिव के प्रमुख पूजा स्थलों में से एक माना जाता है, जहाँ श्रद्धालु अपने पापों का नाश करने के लिए पूजा करते हैं। कुलेश्वर महादेव मंदिर के पास लक्ष्मण झूला का निर्माण इस स्थल के महत्व को और भी बढ़ा देता है।

📆 राजिम घूमने का सर्वोत्तम समय (Best Time to Visit)
समय | अनुभव |
नवंबर–फरवरी | ठंडा और सुहावना मौसम, मेला व उत्सवों का समय |
मार्च–जून | गर्मी अधिक, भ्रमण कठिन |
जुलाई–सितंबर | मानसून में भारी वर्षा से यात्रा बाधित हो सकती है |
📊 राजिम: एक नज़र में (Summary Table)
विषय | विवरण |
प्रमुख विशेषता | Triveni Sangam, Rajiv Lochan Temple, Rajim Kumbh |
दूरी | रायपुर से ~45 कि.मी. (Raipur to Rajim distance) |
मंदिर इतिहास | 8वीं–9वीं शताब्दी, नाला वंश |
सांस्कृतिक विरासत | पंचकोसी यात्रा, लोककला, अतिथि सत्कार |
मुख्य आयोजन | Rajim Kumbh Mela 2025 – 12 से 26 फरवरी |
प्रमुख त्योहार | Mahashivratri, Mela, Lochan Mahotsav |
लोकसंस्कृति | Nacha, Pandavani, आटका प्रसाद, हस्तशिल्प |
Where is Rajim located?
Rajim Chhattisgarh में गरियाबंद जिले में स्थित है, जो Raipur से लगभग 45–46 कि.मी. की दूरी पर है। यह धार्मिक नगर Triveni Sangam के कारण प्रसिद्ध है। सड़क, रेल और वायु मार्ग से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है।
👉 Raipur to Rajim distance by road: ~45 km
👉 By train (via Abhanpur): ~51 km
👉 By air (Raipur Airport): ~43–46 km
Why is Rajim famous?

Rajim अपने Triveni Sangam, प्राचीन मंदिरों, और Rajim Kumbh Mela के लिए जाना जाता है। इसे “छत्तीसगढ़ का प्रयाग” भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ तीन नदियाँ मिलती हैं और यह तीर्थ, लोकसंस्कृति और श्रद्धा का केंद्र है।
Which three rivers meet in Rajim?,Rajim Triveni Sangam River name? | राजिम में कौन सी तीन नदियां मिलती हैं?
राजिम त्रिवेणी संगम में महानदी, पैरी, और सोंढूर नदियाँ मिलती हैं। यह संगम धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहाँ श्रद्धालु स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं।

Rajim Temple Chhattisgarh – Rajiv Lochan Temple का आकर्षण
• राजीव लोचन मंदिर, भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे नाला वंश के राजा विलसतुंग द्वारा 8वीं शताब्दी में बनवाया गया था।
• पंचायतन शैली में बना यह मंदिर छत्तीसगढ़ की धार्मिक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
• इसमें विष्णु के अनेक रूपों की मूर्तियाँ हैं — जैसे नरसिंह, वाराह, वामन, बद्रीनाथ।
What is the history of Rajiv Lochan Temple? | राजिम लोचन मंदिर का इतिहास क्या है?
• मंदिर की पहली शिलालेख ~8वीं शताब्दी में राजा विलसतुंग द्वारा निर्मित बताई जाती है।
• 1145 CE में राजा जगतपाल ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।
• इतिहासकार Alexander Cunningham इसे 5वीं शताब्दी का मानते हैं, पर अधिकतर स्रोत 8वीं शताब्दी को सही मानते हैं।
Attraction of Rajim

Rajiv Lochan Temple
Kuleshwar Mahadev Temple (संगम द्वीप पर)
अन्य मंदिर: Rajeshwar, Daneshwar, Someshwar
Rajim Triveni Sangam
Sitabadi archaeological site Rajim Lochan Mahotsav (लोकनृत्य, पंडवानी, हस्तशिल्प)
Rajim Kumbh | Rajim Maghi Punni Mela

• यह मेला हर साल माघ महीने (फरवरी–मार्च) में होता है।
• संत, नागा साधु, स्थानीय श्रद्धालु संगम में स्नान और प्रवचन करते हैं।
• सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोकनृत्य, प्रदर्शनी, मेला और धार्मिक क्रियाएं प्रमुख आकर्षण हैं।
Local Culture of Rajim | लोकसंस्कृति और परंपरा

• Pandavani, Nacha, Devar singing जैसी लोककलाएँ
• ‘आटका’ (चावल की पिड़िया) प्रसाद
• हस्तशिल्प मेला और कृषि प्रदर्शनी
• Panchkoshi Yatra – पांच शिव मंदिरों की परिक्रमा
• श्राद्ध, पिंडदान, रात्रि विश्राम और भजन कीर्तन
✍ निष्कर्ष
राजिम केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की जीवंत सांस्कृतिक विरासत है। Rajim Triveni Sangam, Rajim Kumbh, और Rajiv Lochan Temple जैसे ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल इसे न केवल आध्यात्मिकता से भरते हैं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध बनाते हैं। अगर आप छत्तीसगढ़ की असली संस्कृति, लोककला और अध्यात्म को महसूस करना चाहते हैं, तो राजिम आपकी यात्रा सूची में जरूर शामिल होना चाहिए
Read more about Bhuteshwar Mahadev Gariyaband –https://suchnamitra.com/bhuteshwar-mahadev-temple-chhattisgarh/