
Madamsilli Dam, Siphon Dam, Dhamtari – कहानी 100 साल के सायफन बांध की: कैसे मैडम सिल्ली से बन गया माडमसिल्ली |– Country first siphon dam -Tourist place in Dhamtari, Top place for enjoy in Dhamtari
Traveler’s POV: मैं क्यों जाऊं Madamsilli Dam ?
Peace Lover?
झील के किनारे बैठिए। पेड़ों की छांव में खुद से मिलिए।
Photographer?
सुबह के सूरज की रोशनी में इसका रिफ्लेक्शन लेने लायक होता है।
Explorer?
पास में सिहावा हिल्स, कर्णेश्वर मंदिर और
जंगल ट्रेल्स आपका इंतज़ार कर रहे हैं।
Road Tripper?
रायपुर से बाइक या कार लेकर निकलें। रास्ते के गांव, मोड़, पुल – सब दिल चुरा लेंगे।
जानने लायक कुछ छोटी लेकिन दिलचस्प बातें
दिलचस्प बात – इसी बांध के नाम से बांध किनारे बसे गांव का नाम सायफन पारा पड़ा।और
आज भी सायफन पारा नाम से जाना जाता है।
माडमसिल्ली बांध, जिसे मुरुमसिल्ली के नाम से भी जाना जाता है, यह महानदी की एक सहायक, सिलयारी नदी पर स्थित है। यह छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित है। 1 9 14 और 1 9 23 के बीच निर्मित, यह एशिया में पहला बांध है जो सायफन स्पिलवेज है। रायपुर से माडमसिल्ली बांध लगभग 95 किमी दूर है। यह छत्तीसगढ़ में सबसे प्रमुख वास्तुशिल्प चमत्कारों में से एक है।यह सिर्फ एक सिंचाई परियोजना नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग का एक ज़िंदा अजूबा है।

कहां है Madamsilli Dam ?
- स्थान: सिहावा क्षेत्र, धमतरी जिला, छत्तीसगढ़
- नदी: प्रमुख नदी है सिलियारी नदी (महानदी की सहायक)
- रायपुर से दूरी: लगभग 95-110 किमी
- कैसे पहुंचें: राजधानी रायपुर से 70 से 75 किलोमीटर की दूरी पर धमतरी आयेंगे फिर यहां से नगरी सिहावा स्टेट हाइवे पर 18 किलोमीटर जाने के बाद बनरौद करके गांव आएगा जहां से दाहिनी और 8 से 10 किलोमीटर जाने पर एक छोटी घाटी मिलेगी जहां से आपको मॉडमसिल्ली बांध स्पष्ट रूप से दिखाई देगा जिसकी सुंदरता देखते बनती है
इंजीनियरिंग का चमत्कार: बिना सीमेंट का बाँध!
- निर्माण अवधि:1914 से 1923
- सामग्री: बजरी, मिट्टी, चूना और लोहे के बुरादे
- सीमेंट और रेत का प्रयोग नहीं किया गया
- निर्माण में बैलों की घानी से सामग्री मिलाई गई
- 3-3 घन फीट के तराशे हुए पत्थरों को जोड़ा गया
इसे ब्रिटिश राज के गवर्नर मैडम सिल्ली की देखरेख में बनाया गया था, जिनके नाम पर इसका मूल नाम रखा गया था। यह छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित है। 1914 और 1923 के बीच निर्मित, यह एशिया का पहला बांध है जिसमें साइफन स्पिलवे हैं। यह छत्तीसगढ़ के सबसे प्रमुख वास्तुशिल्प चमत्कारों में से एक है। इसका प्राथमिक उद्देश्य सिंचाई है।
3 जून 1929 को आर.एस. राजेंद्रनाथ सूर (सरकारी सिविल इंजीनियर, मध्य प्रांत) को जॉर्ज पंचम द्वारा मुर्रम सिल्ली बांध पर उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए “राय साहब” की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
देश का पहला सायफन वाला बांध अपने जीवन के 100 साल पूरे कर चुका है. 100 साल की उम्र गुजार लेने के बाद भी इस बांध की मजबूती जस की तस बनी हुई है. माडमसिल्ली डैम से जुड़ी है मैडम सिल्ली की कहानी अगर आपने नहीं सुनी तो फिर ये खबर है आपके काम की.
Madamsilli Dam धमतरी:
अंग्रेजों के जमाने का बना माडमसिल्ली बांध आज भी अपनी खासियत के चलते अपनी अलग पहचान रखता है. अंग्रेजो ने बिना सीमेंट और रेत इस बांध का निर्माण किया. अपने निर्माण के 100- साल पूरे करने के बाद भी ये बांध उसी मजबूती के साथ पानी की लहरों को रोके खड़ा है. बांध की एक नहीं कई ऐसी खासियतें हैं जो इसे बेहतरीन बांध की श्रेणी में खड़ा करता है. इस बांध का निर्माण इंग्लैड की मैडम सिल्ली ने कराया था.
Madamsilli Dam (100 साल का हुआ माडमसिल्ली बांध):
माडमसिल्ली बांध अब सौ साल की उम्र पूरी कर चुका है. इतिहास के पन्नों में झांकर देखें तो पता चलता है साल 1923 में ये बांध बनकर तैयार हुआ. इस बांध की इंजीनियरिंग का नमूना इतना बेहतरीन है कि इसे अब इंजीनियरिंग के कोर्स में भी पढ़ाया जा रहा है. राजधानी रायपुर से करीब 110 किमी की दूरी पर धमतरी में बना माडमसिल्ली बांध का निर्माण अंग्रेजों ने कराया था. सिलियारी नाले पर बना ये बांध आज भी उसी मजबूती से खड़ा जैसे आज ही बना हो.
आधे छत्तीसगढ़ की प्यास बुझाता है ये Madamsilli Dam:
माडमसिल्ली बांध में करीब 5 दशमलव 8 टीएमसी के जलभराव की क्षमता है. माडमसिल्ली बांध गंगरेल बांध का सहायक बांध है साथ ही रविशंकर सागर बहुउद्देश्यीय परियोजना का अहम हिस्सा भी है. माडमसिल्ली बांध से इलाके के लाखों किसानों को फायदा होता है. इस बांध के पानी से सालों भर किसान अपनी खेत की सिंचाई करते हैं. किसानों के लिए जहां ये बांध जीवनदाता साबित होता है वहीं इस बांध से सैकड़ों मछुआरों का परिवार भी अपना पेट पालता है. माडमसिल्ली बांध का पानी बाद में जाकर गंगरेल बांध में मिल जाता है. इसके पानी से आधे छत्तीसगढ़ के खेतों को पानी मिलता है. इसके पानी से भिलाई, रायपुर और धमतरी शहर की प्यास बुझती है.
Madamsilli Dam की खासियत:
इस बांध की सबसे बड़ी खासियत इसके आटोमेटिक सायफन सिस्टम है. जिसमें कुल 34 गेट लगे हुए हैं. पानी जब एक खास स्तर तक पहुंचता है तब इसके चार बेबी साइफन गेट अपने आप खुल जाते हैं. गेट खुलते ही पानी नहर में जाने लगता है. अगर जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़े तब इसके बाकी के 32 गेट भी अपने आप खुल जाते हैं. जैसे ही जल स्तर खतरे के नीचे जाता है गेट अपने आप बंद भी हो जाते हैं. बांध का ये आटोमेटिक सिस्टम भले ही 100 साल पुराना हो लेकिन इसकी इंजीनियरिंग आज भी बेजोड़ है.
Madamsilli Dam एशिया का इकलौता शानदार बांध है
माडमसिल्ली: माडमसिल्ली बांध एशिया में अपनी तरह का इकलौता बांध है. 100 साल बाद भी इसकी मजबूती देख कर लोग हैरान होते हैं. बिना सीमेंट और रेत के बने इस बांध की मजबूती आज भी लोहे की दीवार की तरह सख्त है. बांध को देखने आने वाले आज भी इसके फार्मूले को समझने की कोशिश करते हैं. बांध के निर्माण में उस वक्त लोहे के बुरादों का इस्तेमाल किया गया था. दीवार को मजबूत बनाने के लिए बजरी, मिट्टी और चूना को बैलों की घानी से मिलाकर मिक्स किया गया. तब जाकर ये मजबूत दीवार बांध की बनी.
Madamsilli Dam पत्थरों ने दिया दीवार को फौलादी ताकत:
3- 3 घन फीट के पत्थर तराश कर उनके बीच बजरी, मिट्टी और चूना को बैलों की घानी से मिले मसाले को मिलाया जाता था. बांध को बनाने के लिए जो मशीनें मंगाई गई वो साल 1921 में इंग्लैंड से आए थे. बांध को देखकर आप भी ये कहने को मजबूर हो जाएंगे कि ये दूसरा शतक लगाकर भी यूं ही तनकर खड़ा रहेगा. छत्तीसगढ़ के जिन कॉलेजों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है वहां पर इस बांध की इंजीनियरिंग को भी पढ़ाया जाता है
Madamsilli Dam -क्या है सायफन स्पिलवे तकनीक?
सायफन सिस्टम एक ऐसा ऑटोमैटिक गेट सिस्टम है जिसमें:
कुल 34 सायफन गेट लगे हैं
जलस्तर एक निश्चित सीमा पर पहुंचते ही 4 बेबी सायफन अपने आप खुल जाते हैं
अगर जलस्तर और बढ़े तो बाकी 32 गेट भी खुद खुल जाते हैं
जलस्तर घटते ही गेट अपने आप बंद हो जाते हैं
यह पूरी प्रक्रिया बिजली या इंसानी हस्तक्षेप के बिना होती है!
किसानों का जीवनदाता
जल संग्रहण क्षमता: 5.8 TMC
उपयोग: सिंचाई, मत्स्य पालन, पेयजल
गंगरेल डैम की सहायक इकाई
भिलाई, रायपुर और धमतरी के लिए पानी की महत्वपूर्ण स्रोत
घूमने की जगह (Tourist Spot)
माडमसिल्ली सिर्फ तकनीकी दृष्टिकोण से खास नहीं, बल्कि एक शानदार पर्यटन स्थल भी है। यहां आप:
हरियाली से घिरे बांध क्षेत्र का आनंद ले सकते हैं
पिकनिक, फोटोग्राफी और बोटिंग का लुत्फ उठा सकते हैं
पास में सिहावा हिल्स और कर्णेश्वर महादेव मंदिर भी देख सकते हैं
इंजीनियरिंग छात्रों के लिए आदर्श उदाहरण
माडमसिल्ली डैम की तकनीक को आज भी इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाया जाता है
इसकी मजबूती और स्वचालित सायफन प्रणाली आज भी शोध का विषय है
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. माडमसिल्ली बांध कब बना था?
इसका निर्माण 1914 में शुरू हुआ और 1923 में पूरा हुआ।
Q2. यह भारत का पहला सायफन बांध क्यों है?
इसमें सायफन स्पिलवे तकनीक है, जिसमें गेट अपने आप खुलते-बंद होते हैं।
Q3. क्या यह बांध आज भी उपयोग में है?
हां, यह आज भी सिंचाई और पेयजल के लिए सक्रिय है।
Q4. क्या यहां घूमने के लिए कुछ और है?
हां, माडमसिल्ली के पास सिहावा हिल्स, कर्णेश्वर मंदिर और हरियाली से भरे पर्यटन स्थल हैं।
Q5. यहां कैसे पहुंचें?
रायपुर से धमतरी के रास्ते 95-110 किमी की दूरी तय कर आप कार, बाइक या बस से पहुंच सकते हैं।
For more blog please read-https://suchnamitra.com/dhamtari-tourist-places-top-7-famous-place-in-2025/
Badhiya hai kosis karte raho
Nice information…
Bhut hi sundar najara hai
Bahut ki aacha…. Ghumne ke sath sath jaankari bhi mil rahi