
Author – Nitu Singh Nishad
छत्तीसगढ़ के कांकेर में स्थित दुधावा बांध सिर्फ एक इंजीनियरिंग संरचना नहीं, बल्कि छठवीं शताब्दी के अद्भुत शिव मंदिर और मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र है। जानिए इस रहस्यमयी स्थान की पूरी कहानी, पर्यटन और महत्व में बारे में।

✨ दुधावा बांध (Dudhava Dam) का निर्माण: छठवीं शताब्दी का डूबा हुआ शिव मंदिर और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम
दुधावा बांध का निर्माण आजादी के पश्चात सन 1953 में शुरू हुआ था परंतु निर्माण पूर्ण होते होते 1964 तक समय लग गया। इस बांध के निर्माण को इतने वर्ष पूरे हो चुके परंतु आज भी यह बांध सुविधा एवं रख रखाव की कमी से जूझ रहा है।

कहते हैं यह बांध जब सुख जाता है तब बांध के बीचों बीच देवखुट पारा नाम के गांव के किनारे एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो अत्यंत ही पुराना है। चूंकि दुधावा के निर्माण को ही 60 वर्ष पूरे हो चुके हैं अर्थात यह मंदिर उससे भी पुराना होगा यह माना जा सकता है।

Dudhava Dam Table of Contents

छत्तीसगढ़ का दुधावा बांध, जो महानदी पर स्थित है, सिर्फ एक जल परियोजना नहीं, बल्कि इतिहास, धर्म और प्रकृति का अद्वितीय संगम है। यह कांकेर जिले के दुधावा गांव में स्थित है, जो धमतरी और सिहावा से क्रमशः 30 और 21 किमी दूर है। इस स्थान की एक सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके मध्य छठवीं शताब्दी का एक प्राचीन शिव मंदिर डूबा हुआ है, जिसे देखने के लिए भक्तों को नाव से जाना पड़ता है।

📜 दुधावा बांध (Dudhava Dam) का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: छठवीं शताब्दी का देउर शिव मंदिर

इस रहस्यमयी मंदिर का निर्माण छठवीं शताब्दी में तत्कालीन राजा व्याघ्र राज द्वारा कराया गया था। उस समय यह स्थान देवखूंट गांव का हिस्सा था, जहाँ महानदी, सीतानदी, बालगंगा और गावत्स नदियों का संगम होता था। यह क्षेत्र एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र था, लेकिन जब दुधावा बांध का निर्माण हुआ, तो मंदिर जलमग्न हो गया।
🌊 Dudhava Dam के कारण मंदिर डूबा

1964 में जब दुधावा बांध पूरी तरह से तैयार हुआ, तो यह शिव मंदिर जल के भीतर समा गया। इसके बाद देवखूंट गांव को सीतानदी के किनारे नए स्थान पर बसाया गया और मंदिर में स्थापित अन्य मूर्तियों को भी वहां ले जाकर पुनः स्थापित किया गया। लेकिन स्वयंभू शिवलिंग को वहीं रहने दिया गया, क्योंकि उसका आध्यात्मिक महत्व अलग है।

🕉️ Dudhava Dam का धार्मिक महत्व और शिवरात्रि का मेला

यह मंदिर महाशिवरात्रि के समय विशेष रूप से चर्चा में रहता है। बांध में पानी कम होने पर श्रद्धालु नाव के सहारे मंदिर तक पहुंचते हैं और दर्शन करते हैं। देवखूंटपारा के ग्रामीणों द्वारा सीतानदी के पास एक नया मंदिर भी बनाया गया है, जहां हर साल शिवरात्रि पर भव्य मेला लगता है।

🛶 सामान्य दिनों में मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र साधन है।
🌿 Dudhava Dam: प्रकृति और रोमांच का संगम

दुधावा बांध केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक पर्यटन स्थल भी है। इसके चारों ओर घने जंगल और पहाड़ हैं, जो इसे पिकनिक, ट्रैकिंग और फोटोग्राफी के लिए आदर्श स्थान बनाते हैं।
⛺ दुधावा बांध गतिविधियाँ:

पिकनिक, बर्ड वॉचिंग, ट्रेकिंग, फोटोग्राफी, बोटिंग
🏞️दुधावा बांध इको टूरिज्म का केंद्र: इको लर्निंग सेंटर

8 दिसंबर 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा दुधावा डेम पर इको लर्निंग सेंटर का उद्घाटन किया गया। यह केंद्र युवाओं और पर्यटकों को पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा देने के लिए स्थापित किया गया है।

हाल के वर्षों में, कांकेर में जल संकट गहराता जा रहा है। जबकि दुधावा जलाशय कांकेर की भूमि पर है, इसका अधिकांश लाभ धमतरी जिले को मिलता है। गंगरेल जलाशय को भरने में भी दुधावा बांध का जल प्रयोग होता है।

🏛️ Dudhava Dam पुरातात्विक महत्व और जनआस्था
2002 में जब बांध पूरी तरह सूख गया था, तब यह मंदिर पहली बार दुनिया के सामने आया। पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षित करने का प्रयास किया, लेकिन स्थानीय 34 गांवों के लोगों के विरोध के चलते मूर्तियों को स्थानांतरित नहीं किया जा सका। आज भी यह मंदिर लोगों की आस्था और श्रद्धा से जीवित है।
🙏 Dudhava Dam आज भी बना है आस्था का केंद्र

दूर-दूर से श्रद्धालु हर साल इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं, खासकर महाशिवरात्रि पर। ग्रामीणों द्वारा किए गए संरक्षण प्रयासों से यह स्थान अब भी जीवित है। यदि सरकार इसे एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे, तो यह न केवल क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि इस अद्भुत विरासत को विश्व के सामने लाने में भी सहायक होगा।

📌 निष्कर्ष: क्यों जाएं Dudhava Dam?
इतिहास, धर्म और प्रकृति का अद्भुत संगम
छठवीं शताब्दी का जलमग्न शिव मंदिर
शांत, सुरम्य और रोमांचकारी स्थल
पर्यावरण शिक्षा और इको टूरिज्म का केंद्र आस्था और संस्कृति से जुड़ा हुआ स्थान
📍 यात्रा सुझाव:
निकटतम रेलवे स्टेशन: रायपुर
निकटतम एयरपोर्ट: रायपुर एयरपोर्ट
बेहतर समय: नवंबर से मार्च
जरूरी सामान: कैमरा, ट्रैकिंग शूज़, पानी की बोतल, और अगर शिवरात्रि में जाएं तो पूजा सामग्री
🗺️ Dudhava Dam के पास घूमने लायक 5 बेहतरीन स्थान
अगर आप Dudhawa Dam Shiv Mandir Chhattisgarh घूमने जा रहे हैं, तो इसके आसपास के ये 5 पर्यटन स्थल आपकी यात्रा को और भी यादगार बना सकते हैं:
1. सिहावा पर्वत (Sihawa Hills)
📍 दूरी: 21 किमी
प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध यह पर्वत महानदी का उद्गम स्थल भी है। ट्रैकिंग और शांति की तलाश में आए पर्यटकों के लिए यह स्थान आदर्श है।
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2. गंगरेल डेम (Gangrel Dam)
📍 दूरी: 45 किमी (धमतरी से)
छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जलाशय, जहां वॉटर स्पोर्ट्स, बोटिंग और रिसॉर्ट्स का आनंद लिया जा सकता है।
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3. सीतानदी वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी (Sitanadi Wildlife Sanctuary)
📍 दूरी: 60 किमी
वन्यजीव प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए एक स्वर्ग। टाइगर, लेपर्ड, हिरण और विविध पक्षियों का निवास।
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4. राजीम (Triveni Sangam)
📍 दूरी: 90 किमी
यह धार्मिक स्थल पैरी, सोंढुर और महानदी के संगम पर स्थित है। इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है। राजीव लोचन मंदिर यहाँ का मुख्य आकर्षण है।
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5. खल्लारी माता मंदिर (Khallari Mata Temple)
📍 दूरी: 35 किमी
एक पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर धार्मिक आस्था और ट्रेकिंग दोनों के लिए जाना जाता है। पहाड़ी से आसपास के क्षेत्र का विहंगम दृश्य बेहद सुंदर होता है।
❓ Dudhava Dam Related FAQs:
❓ दुधावा डेम कहां स्थित है?
उत्तर: दुधावा डेम छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के दुधावा गांव में स्थित है, जो सिहावा से 21 किमी और कांकेर से 30 किमी दूर है।
❓ क्या दुधावा डेम में मौजूद शिव मंदिर आम दिनों में देखा जा सकता है?
उत्तर: नहीं, यह मंदिर बांध के पानी में डूबा रहता है। दर्शन केवल तभी संभव होते हैं जब बांध में जल स्तर कम हो या शिवरात्रि के अवसर पर नाव के माध्यम से।
❓ शिव मंदिर का निर्माण कब हुआ था?
उत्तर: यह मंदिर छठवीं शताब्दी में राजा व्याघ्र राज द्वारा बनवाया गया था, जब यह स्थान देवखूंट गांव में था और पांच नदियों का संगम स्थल था।
❓ क्या दुधावा डेम पर्यटक स्थल के रूप में विकसित है?
उत्तर: हां, यहाँ इको लर्निंग सेंटर, बोटिंग, पिकनिक स्पॉट और आसपास के प्राकृतिक स्थलों के कारण यह एक उभरता हुआ पर्यटन केंद्र है।
❓ दुधावा डेम का मुख्य जल उपयोग कौन करता है?
उत्तर: दुधावा डेम भले ही कांकेर जिले में स्थित हो, लेकिन इसका अधिकांश जल उपयोग धमतरी जिले में होता है, विशेष रूप से गंगरेल जलाशय को भरने के लिए।
