छत्तीसगढ़ की 36 भाजी: एक सांस्कृतिक और औषधीय धरोहर

“छत्तीसगढ़ की 36भाजी वो चीज है जो पते से पतौना बना दे!, और बड़ी बड़ी सब्जियों के स्वाद को अपने सामने बौना बना दे”
भाई साहब! छत्तीसगढ़ की भाजी कोई आम पत्ता
है… ये तो वही चीज़ है जो खेत, खलिहान, मैदान , बाग,
बगीचा के कोने में अपने आप उग जाती है और पेट में
जाकर VIP ट्रीटमेंट दे जाती है। कोई कहे पालक भाजी,
कोई बोले करमत्ता भाजी… लेकिन जब 36 भाजी की
पूरी बारात बनती है, तब समझ आ जाता है कि हमारे
छत्तीसगढ़ की मिट्टी सिर्फ खनिज नहीं, औषधीय भाजी
की खजाना भी है।यहां के हर एक भाजी में औषधीय
गुण कूट कूट कर भरा हुआ है।
छत्तीसगढ़ की 36 भाजी: नाम सुनके ही पेट में कोंच लग जाए
1. लाल भाजी – गर्मी में ये ऐसे ठंडक दे जैसे मोबाइल
में एयर कंडीशनर।
ये भाजी पूरे पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है। इसके पत्तो से ज्यादा इसके डंठल गुणकारी होते हैं, परंतु लोग इसके डंठल ही काट कर अलग कर देते हैं। विटामिन ए, सी, इंसुलिन, शुगर सबके लिए लाभकारी है ये भाजी।

2. पालक भाजी – “आयरन” मैन की पसंदीदा भाजी! सामान्यतः पालक भाजी में आयरन, विटामिन ए, कैल्शियम भरपूर होता है, अधिकतर डॉक्टर मरीजों ,कुपोषितों, कमजोर शरीर, खून की कमी वाले सभी मरीजों को पालक खाने का सलाह देते हैं। इस भाजी की यही बात इसकी विशेषता बताने के लिए काफी है।

3. खट्टा भाजी (अमारी भाजी) – चटनी से लेकर अपच तक सबका इलाज। इसका स्वभाव अत्यंत खट्टा होता है, दही महि भी इसके सामने फैल है, इसके खट्टापन को कम करने लोग इसे उबाल कर इसका पानी फेक देते हैं, फिर सब्जी बनाते हैं। कुछ भी कहो खट्टा भाजी लोकप्रिय बहुत है भाई।

4. प्याज भाजी – छौंक में जब ये आए, खुशबू मोहब्बत बन जाए। प्याज या फिर कांदा इसका उपयोग पूरा विश्व करता है, पूरे भारत में इसकी भाजी भी खाई जाती है। इसमें सल्फर, आयरन, विटामिन सी भरपूर होता है।

5. चेंच भाजी – फाइबर से भरपूर, पाचन के लिए भी अच्छी है, कृषि वैज्ञानिक भी दिलचस्पी ले रहे इस पर क्योंकि गर्मी के दिनों में पेट साफ करने का को करती है, शरीर को ठंडा रखने में मदद करती है।

6. करमत्ता भाजी – बेसन से दोस्ती, मुंह के छाले से दुश्मनी! यह भाजी भी खेतों खलिहानों, नदी के किनारों में उगता है, परंतु इसकी लोक प्रियता देख अब किसान इसकी खेती करने लगे हैं।

7. चुनचुनिया भाजी – डिटॉक्स की देसी मशीन, पेट का साफ-साफ। यह शुद्ध देशी भाजी है, जो खेतों में, तालाबों में सरोवरों में उगती है, इसके तीन पत्ते होते हैं, कुछ क्षेत्र में इसे सुनसुनिया तीनपनिया भाजी भी कहा जाता है।

8. गोभी पत्ता भाजी – फूल तो सब खाते हैं, पत्ता वाला स्वाद
VIP होता है।
गोभी तो पूरा विश्व खाता है, जानता है, आज यह भी जान लो छत्तीसगढ़ में इसके पत्तो को भी स्वादिष्ट सब्जी बनाया जाता है, स्वाद ऐसा के सिर्फ सब्जी सब्जी खाते रह जाओगे,पर थकेंगे नहीं।

9. मेथी भाजी – ना सिर्फ स्वाद, पेट के क्रिमियों
की दुश्मन नंबर 1!
मेथी के दाने हों या फिर मेथी के भाजी, दोनों ही लाभ कारी हैं, मेथी के पत्ते तड़का लगाने में तो मशहूर है ही, आलू मेथी की सब्जी भी फेमस हैं। मेथी का पूरा पौधा ही औषधीय गुण रखता है।

10. कांदा भाजी – बेल जैसे फल और त्वचा जैसी चमक! कांदा भाजी छत्तीसगढ़ के घर घर में मिल जाएगा, क्योंकि यह बारहमासी सब्जी होती है, जो गांव में लगभग घरों में पाई जाती है।

11. मास्टर भाजी – फाइबर का सिरमौर, स्वाद का सेनापति। बाकी भाजी की तरह इसमें भी फाइबर की मात्रा भरपूर होती है।

12. पटवा भाजी – स्वाद में खट्टी, अधिकतर दही डालकर पकाया जाता है, कहते हैं बीपी वाले लोगों के लिए फायदे मंद है ये सब्जी।

13. कुम्हड़ा भाजी (कद्दू पत्ता) – बालों का बाउंसर, स्वाद का विनर। भाई कुम्हड़ा कद्दू तो सब जानते हैं, छत्तीसगढ़ वाले इसकी भाजी भी बड़े स्वाद के साथ खाते हैं, कहते हैं बाल को मजबूत और घना बनाना है तो खूब कुम्हड़ा भाजी खाओ।

14.मूली भाजी- मूली सुनकर भागिए नहीं, हम मूली के पराठे की नहीं
, बल्कि छत्तीसगढ़ में इसके भाजी से बनाए जाने वाले सब्जी की बात कर रहे हैं, इसको इतना पसंद किया जाता है, आप जैन, मारवाड़ी समुदाय के पार्टी में चले जाइए, मूली भाजी लाखड़ी दाल के साथ लगभग हर जगह दिख जाएगी।

15. बरबट्टी भाजी – आलू बरबट्टी की सब्जी बहुत खाए होंगे, कभी इसके भाजी खाकर देखिए, क्षारीय गुण वाली यह सब्जी स्वाद में भी सभी भाजियो से आगे है। पौधा उगे तो पत्ते तोड़कर भाजी खा लो, फिर फल लगे तो बरबट्टी खा लो।

16. कोचाई भाजी (अरबी पत्ता) – छत्तीसगढ़ी पत्तागोभी का नया नाम।

कोचई पत्ता दो प्रकार है होता है, एक हरा पत्तो वाला देशी कोचई, दूसरा बैंगनी पत्ता वाला कोचई, हरे पत्ते को सिर्फ ईड़हर बनाया जाता है खट्टे में, क्योंकि इसमें थोड़ी खुजली पन होती है। परंतु बैंगनी कोचई पत्ता सामान्य भाजी जैसा भी खाया जाता है, और ईड़हर सब्जी तो इस भाजी की पहचान है। छत्तीसगढ़ के शादी ब्याह फंक्शन में आपको खट्टे में एक सब्जी यही मिलेगी।

17 चरोटा भाजी – पेट दर्द हो या मरोड़, ये आपके आंतों की
एंबुलेंस है। चरोटा के फल को तो खरीदा ही जाता है, इसके औषधीय गुणों के कारण, इसको दवाई, औषधि, कॉस्मेटिक्स प्रॉडक्ट बनाने में उपयोग होता है, ऐसे ही चरोटा भाजी में भी गुणों का भंडार है।इसको खाने से आंख की रोशनी बढ़ती है, रक्तचाप कम करता है।साल में एक दो बार चरोटा भाजी खाना ही चाहिए।

18. मूनगा भाजी (सहजन पत्ता) – आंखों की रोशनी और दिल की धड़कन
की रक्षक। मुनगा कहो या सहजन,पूरा विश्व मुनगा/ सहजन का गुणगान करता है। इसके फल के गुणों को तो अपने सोशल मीडिया में बहुत सुना देखा होगा, कई एक्सपर्ट से। कहते हैं इसकी भाजी साल में जरूर खाना चाहिए, इसमें हैजा, पेचिश, पीलिया, दस्त जैसे सभी रोगों से लड़ने का गुण होता है, इसके पत्तो का गुण तो फलों से भी ज्यादा है।


19. चना/चानौटी भाजी – जोड़ों के दर्द का मास्टर ट्रैक्टर! चना का स्वाद तो सबको पता है, आपका हाजमा खराब है, चना भाजी खा लो, गांव में चना की भाजी बहुत पॉपुलर है, चना उगाते ही पहली शाखा को तोड़ दिया जाता है, और भाजी के रूप में खाया जाता है। जिसको तोड़ने से चना के पौधे में एक शाखा में कई नई शाखाएं निकल आती है।जिससे पैदावार भी बढ़ गई, और सब्जी भी मिल गई, है न मजेदार बात।

20. उरीद भाजी(उड़द भाजी) – उरद दाल के पत्ते, विटामिन का बम! उड़द की दाल सबने खाई है, इसके बड़े सबने खाई है, बस ऐसी ही स्वाद इसके भाजी में भी होता है, विटामिन प्रोटीन से भरपूर, अपने उड़द का भाजी नही खाया तो, क्या भाजी खाया

21. सरसों भाजी – पंजाबी का प्यार और छत्तीसगढ़
की ठंड की रानी।
सरसों का साग छत्तीसगढ़ में ही नहीं, हरियाणा पंजाब वाले भी बहुत पसंद करते हैं, इसके जैसा गुण आपको किसी सब्जी में नहीं मिलेगी। ठंड के दिनों में खेत की फसल कटाई के बाद इसे बोया जाता है, सरसों तेल का गुण जानते हैं न?? वैसे ही गुण इसके भाजी में होता है, स्वाद में तीखा, नसों के दर्द, खिंचाव, सबमें आराम दायक।तैलीय गुण अधिक होती है इस भाजी में

22. कोलियारी भाजी- यह एक पेड़ होता है, जिसके नरम नरम पत्तो को तोड़ कर सब्जी बनाया जाता है, सीजनल सब्जी है, हर माह नहीं मिलता, इसलिए लोग हाथों हाथ खरीद लेते हैं, स्वाद में जबरदस्त, पाचन तंत्र मजबूत, फाइबर से भरपूर, एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा भरपूर।खाकर देखिए एक बार, बाकी भाजी फैल है इसके सामने।

23.बोहार/पोहरा भाजी– एक भाजी ऐसा जो आपके शरीर के बायोडाटा सुधारे !लोकप्रिय है, पर बहुत महंगी है, क्योंकि मौसमी सब्जी है, गर्मी के दिनों में ही मिलती है, यह भी एक विशालकाय पेड़ होता है, जिसके नरम पत्तो, कलियों, और फूलों को तोड़ा जाता है।औषधीय गुण रखती है, इसलिए तो लोग इतना महंगा होने पर खरीद लेते हैं, स्पेशली दही में बनाया जाता है।

23. भथुआ भाजी – पालक का कजन ब्रदर, स्वाद में बड़प्पन।
कहते हैं भथुआ भाजी में कृमि नाशक का गुण होता है, इसका यही गुण इस भाजी को सभी भाजियों से श्रेष्ठ बनाता है।

24. कुंदरु भाजी – कुंदरु का नाम तो सुना ही होगा, बुद्धि नाशक कहा जाता है इसे छत्तीसगढ़ में। स्वाद में कुंदरु जैसा हो गुण रखता है।लोग कुंदरु तो खाते ही हैं, साथ ही इसके भाजी भी खा जाते हैं, मजाक नहीं है दोस्तो मैने भी खाई है यार गांव में

25. जरी भाजी – ग्रीन ब्लड सेल्स की रानी, सुपरफूड से भी ऊपर। जरी का नाम सुनते है लोगों को मही और जरी सब्जी याद आ गया, पर रुकिए इसके भाजी भी दाल के साथ बहुत ही अच्छा सामंजस्य बनाते हैं, और एक यूनिक टेस्ट लेकर आते हैं।
26.सेमी भाजी – छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्र में इसे ख़ेहड़ा भाजी भी कहा जाता है, इसके भाजी को भी खाया जाता है। परंतु छत्तीसगढ़ के एक क्षेत्र विशेष में। सेमी तो सबने खाया है, इसका भाजी भी कभी खा कर देखो। छत्तीसगढ़ गांवों का राज्य है, यहां शहर कम और गांव देहात अधिक है, लोग शहर से दूर इन्हीं सब का उपयोग करके सब्जी की कमी दूर करते हैं। सेमी की भाजी की सब्जी, फिर फल लगने के बाद सेमी की सब्जी।

27. मुस्केनी भाजी – नाम पर न हंसो, स्वाद में ये सुपरस्टार! चूहे के कान जैसे दिखने वाला यह भाजी, अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, कहते हैं, याद दास्त और दिमाग तेज होता है इसे खाने से, भाजी खाओ दिमाग बढ़ाओबस ये पोषक तत्व पूर्ति करता है, इसे खाने से दिमाग नहीं बढ़ेगा पर पोषक तत्व भरपूर मिलेगा जो दिमाग के लिए जरूरी है।

28. मोखला भाजी – यह घोर आदिवासी इलाकों में ही खाया जाता है, पर मिलता सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में है। खेतों में मोखला का पौधा तो देखे होंगे, कांटे दार, चुभ जाए तो नानी याद आ जाए

29. पोई भाजी – ये साग नहीं, रेशमी साड़ी है कढ़ाही में। भाई इसका चटक दार लाल रंग इसे लाल भाजी से अलग और खास बनाता है।क्योंकि इसमें है हड्डियों को मजबूत करने की ताकत, खून की कमी ओर करने का गुण, कैल्शियम, पोटैशियम से भरपूर।

30. दार भाजी – ग्रामीण रसोई की लाज। यह घर के आसपास ऐसे ही उग जाती है, जिसे सब्जी के रूप में उपयोग कर लिया जाता है। नाम भी दार भाजी और सब्जी बनाते भी दाल के साथ हैं

31. लाखड़ी भाजी /तिवरा भाजी– नाम भी देसी, स्वाद भी देसी और फायदा
भी भारी! भाई आयरन और कैल्शियम से भरपूर होती है यह भाजी, परंतु बहुत अधिक खा लिए तो फिर पेट खराब होना तय है, क्योंकि इसे खाने से पेट ऐसे ही पूरा साफ हो जाता है।


32. पत्ता गोभी भाजी – यह सब्जी तो पूरे देश में जानी जाती हैं, इसके गुण और पोशकता किसी से छुपी नहीं है। आप भारत के किसी भी कोने के सब्जी मार्केट में रहो, यह आपको हर जगह मिल जाएगी।

33. चौलाई भाजी – बारहमासी साग, स्वाद इसका मैथी और
पालक की जुगलबंदी जैसा। यह भाजी भी आपको गर्मी के दिनों में अधिकतर मिलेंगी, शरीर को ठंडक देने वाली भाजी हैं ये। चौलाई भाजी का सेवन भी आंत की सफाई, हड्डियों के लिए उपयुक्त है।जिसमें कैलोरी कम प्रोटीन अधिक होता है।

34. कुल्थी भाजी/ हिरवा भाजी – किडनी के डॉक्टर, पथरी के दुश्मन।
मजाक नहीं अगर आपको पथरी के शुरुआती लक्षण है, आप सप्ताह में 4-5 बार कुलथी/ हिरवा को नाश्ता जैसे खाइए, सब्जी बनवा कर खाइए, छोटे मोटे पथरी ऐसी ही गलाने की क्षमता रखता है यह भाजी और इसके दाने, इसको खाने से आपके किडनी पथरी की समस्या नही होती। ये छत्तीसगढ़ के भाजी है जनाब गुण गिनते रह जाओगे ।
35. झुरगा भाजी – खाओ और महसूस करो ‘रसों का रस’।
झुरगा तो सुने होगे?? अरे वही जिसको छत्तीसगढ़िया राजमा कहा जाता है, राजमा से छोटे बीज वाला एक बरबट्टी जैसा ही फलता फूलता है, बस इसके बीज राजमा से छोटे होते हैं, परंतु स्वाद में राजमा कुछ भी नहीं हमारे छत्तीसगढ़ के झुरगा के सामने।कभी राजमा के बजाय झुरगा की सब्जी खा कर देखना, जैसे बरबट्टी का भाजी वैसी ही झुरगा की भाजी एक जैसा स्वाद, एक जैसी रेसिपी।

36. गुमी भाजी – इस भाजी का एक और नाम है द्रोण पुष्पी, क्योंकि यह लंबी लंबी पत्तियों वाली और साथ में लंबी डंठल में फूल खिला हुआ होता है, जो सामान्य बाजियां जैस ही चना दाल के साथ लहसुन और सुखी मिर्च के तड़के से बनाया जाता है।

“36 भाजी वाला किसान” – दीनदयाल यादव की कहानी
जब लोग रेसिपी की वीडियो बनाकर वायरल हो
रहे थे, तब जांजगीर-चांपा के दीनदयाल यादव भाजी उगाने की
शपथ ले चुके थे। आज उनके नाम से लोग कहते हैं – “अरे वही दीनदयाल, 36 भाजी वाला!”
तीन साल से पेटेंट की प्रक्रिया में जुटे हैं।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से
कृषक अधिकार संरक्षण के लिए
आवेदन कर चुके हैं।
कई विलुप्त प्रजातियों की भाजी को फिर से
गांव की थाली में लाने का श्रेय इन्हीं को है।
तो भाजी खाओ, सेहत पाओ – और गर्व से गुनगुनाओ –
“भाजी तोड़े ल आबे वो, मोर गांव के ओनहारी म!”
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ की 36 भाजी सिर्फ खान-पान नहीं, यह संस्कृति, सेहत और स्मृति
की माला है। इनमें से हर एक पत्ता एक कहानी है, एक
इलाज है और एक स्वाद है। जब अगली बार लाल भाजी की खुशबू रसोई में
फैले, तो याद रखना – तुम सिर्फ खाना नहीं खा रहे, छत्तीसगढ़ की
परंपरा का स्वाद चख रहे हो।
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अगली बार भाजी खाते समय कृषक “दीनदयाल यादव” को एक मन ही मन
सलाम ज़रूर कर देना।
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